जानिए इनके बारे में - आदिवासी बहुल जिला डिंडोरी ( मध्य प्रदेश ) के दो आदिवासी कलाकारों को मिलेगा पद्मश्री

 दोस्तों डिंडोरी जिला मध्यप्रदेश का पिछड़ा जिला है लेकिन जिले में प्रतिभावों की कमी नहीं है, जिसका उदाहरण विगत दिनों में सरकार द्वारा पद्मश्री के लिए चुने गए नामों में डिंडोरी जिले के दो महान कलाकारों के नाम हैं।

डिंडोरी जिले को बैगाचक नाम से खासी प्रसिद्धि मिली, यह देश भर में आकर्षण का मुख्य केंद्र रहा, बैगा जनजाति अपने धरोहर, खान पान, संस्कृति को संजोए हुए जिले में निवास करती है, जो किसी अन्य जगह की तुलना में काफी आकर्षक है, 

डिंडोरी जिले को प्रसिद्धि दिलाने में यहां के आदिवासी समाज का भी बहुत बड़ा हाथ है, उनकी संस्कृति और इसके लिए उनका सम्मान वाकई किसी भी जगह को प्रसिद्ध दिलाने के लिए काफी है, 

डिंडोरी जिला बैगा, गोंड समुदाय और उनकी संस्कृति, नृत्य, और गोंडी चित्रकारी के लिए जाना जाता है, 

2022 के लिए पद्मश्री के लिए जिले के दो आदिवासी कलाकारों को चुना जाना जिले के लिए गर्व की बात है

दोस्तों आइए जानते हैं उन दो कलाकारों के बारे में

पहला नाम है अर्जुन सिंह धुर्वे दोस्तों अर्जुन सिंह धुर्वे बैगा जनजाति से आते हैं, वे डिंडोरी जिले के बैगाचक चाड़ा के पास धुरकुटा गांव से आगे हैं, धुरकुटा गांव चारों तरफ से वनों से घिरा है, एवं छत्तीसगढ़ के सीमा से लगा हुआ है, 




दोस्तों अर्जुन सिंह धुर्वे बैगा समुदाय के पहले ग्रेजुएट शिक्षक रहे हैं वर्तमान में वे सेवानिवृत हो चुके हैं, वे समाजशास्त्र में पोस्ट ग्रेजुएट के साथ बी एड की भी शिक्षा प्राप्त किए हैं, उन्होंने बैगा नृत्य को अलग पहचान दिलाने में अपनी अहम भूमिका निभाया है, एवं देश में इसे अलग पहचान दिलाया है, अर्जुन सिंह धुर्वे बचपन से नृत्य संगीत प्रेमी रहे हैं, हालांकि बैगा समुदाय के लोग नृत्य संगीत के प्रेमी होते हैं, इस समुदाय के लोगों का उनके पारंपरिक नृत्य और संगीत के प्रति बहुत लगाव रहता है, बैगा नृत्य देखने में बहुत ही आकर्षक लगता है, 

दोस्तों यदि आप बैगा नृत्य देखें होंगे तो इससे परिचित होने अगर नहीं देखे होंगे तो कभी समय निकाल कर जरूर देखिएगा।

पद्म श्री के लिए चयनित होने वाले दूसरा नाम दुर्गा बाई वयाम का है जो गोंडी चित्रकारी में कई उपलब्धि हासिल करने वाली महिला है, हालांकि वर्तमान में अधिकांश भोपाल में निवासरत हैं लेकिन उनका मुख्य निवास स्थान डिंडोरी जिले के करंजिया ब्लॉक के पाटनगढ़ गांव में है।




दोस्तों आपको बता दें कि पाटनगढ़ गांव गोंडी चित्रकला के लिए देश ही नहीं बल्कि विश्व में भी प्रसिद्ध है, पूरे विश्व से यहां के कला को सराहा जाता है, और गोंडी चित्रकला की अलग ही पहचान है, 

दोस्तों गोंडी चित्रकला को प्रसिद्धि दिलाने में प्रथम स्थान स्व. जन गण सिंह श्याम का है जो पाटनगढ़ के ही निवासी थे, उन्होंने गोंडी चित्रकला को विश्व भर में पहुंचाया एवं इसे नई पहचान दिलाया, 

आज के समय में पाटनगढ़ गोंडी चित्रकला के लिए विश्वविख्यात है, मौजूदा समय में दुर्गा बाई वयाम प्रमुख रूप से इसे संजोए रखने में अहम भूमिका निभा रही हैं।

दोस्तों पाटनगढ़ गांव के बारे यह भी खास बात है कि यहां हर घर में गोंडी चित्रकार कलाकार मौजूद हैं, यह कहा जा सकता है कि गोंडी चित्रकला इस गांव के हर व्यक्ति के खून में बस गया है, इनके कला और पेंटिग्स की देश विदेश में बहुत मांग है, 


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आदिवासी एक परिचय




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