गोंडवाना के बलिदानी राजा शंकरशाह कुंवर रघुनाथ शाह जिन्हें अंग्रेजों ने तोप से बांध कर उड़ा दिया . Raja shankar shah kunvar Raghunath shah balidan divas
गोंडवाना के बलिदानी राजा शंकरशाह कुंवर रघुनाथ शाह जिन्हें अंग्रेजों ने तोप से बांध कर उड़ा दिया
दोस्तों आज हम बात करेंगे उन महान बलिदानी पिता और पुत्र के बारे में जिन्होंने अपने मातृभूमि के लिए अपना प्राण न्योछावर कर दिया। हम आजादी के संग्राम और आजादी के लिए लड़ने वाले कई क्रांतिकारी और बलिदानियों के बारे में सुनते हैं पढ़ते हैं, उनके कुर्बानियों की कहानियां हमारे रगों में एक ज्वाला भर देती है, उन्हीं आजादी के लड़ाइयों में आदिवासी समाज का शुरुआत से ही संघर्ष रहा है,
गोंडवाना के गढ़ मंडला साम्राज्य के कई हिस्सों में दमनकारी अंग्रेजों का अधिपत्य हो चुका था, जबलपुर को उन्होंने छावनी के रूप में तब्दील कर दिया था और वहां जेल भी स्थापित किया गया था, उन्होंने बाकी राज्यों के साथ साथ गढ़ मंडला को भी कब्जे में कर लिया, पर यहां राजशाही होने के कारण गढ़ मंडला के राजा शंकर शाह मंडावी को कुछ क्षेत्र में शासन करने का अधिकार दे दिया लेकिन राज्य का पूरा कर अंग्रजों के पास जाता था, एवं राजा को अंग्रेजों द्वारा पेंशन दिया जाता था।
राजा शंकर शाह अपने राज्य में काफी लोकप्रिय थे, उनका लोगों में बहुत मान सम्मान, अन्य जमीदारों में उनके लिए बेहद सम्मान था,
अंग्रेज लोगों और उनके प्रजा के साथ बेहद बर्बर तरीके से पेश आते थे, अत्याचार और असहनीय कर वसूली चरम पर था, राजा शंकर शाह अपने प्रजा के दुर्दशा को देख नहीं सकते थे, उनके अंदर विरोध का स्वर फूटा वे कभी अंग्रेजों के शासन को स्वीकार नहीं सके
राजा शंकर शाह गोंडवाना के गढ़ मंडला के प्रबल राजा थे।
सन् 1857 की क्रांति पूरे देश में स्वराज का अलख जगा चुका था, राजा शंकर शाह भी स्वराज की लड़ाई के लिए स्वयं को तैयार कर रहे थे, वे जबलपुर अंग्रेजों के छावनी में हमला करने की रणनीति बनाने लगे, लेकिन इसकी खबर अंग्रेजों को लग गई, और वे उसे नाकाम करने के लिए षड्यंत्र करने लगे, उन्होंने राजा शंकर शाह के योजनाओ को जानने के लिए साधु वेश में गुप्तचर भेजा, क्योंकि राजा ऐसे व्यक्तियों का बेहद सम्मान और विश्वास करते थे इसलिए वे अंग्रेजों के चाल को समझने में नाकाम रहे और गुप्तचर के सामने अपनी सारी योजनाओं के बारे में बता दिया।
अंग्रेजों को सूचना मिलते ही राजा शंकर शाह और कुंवर हृदय शाह के किले में हमला कर गिरफ्तार कर लिया गया। और जबलपुर स्थित बंदीगृह ले जाया गया, जहां उनपर मुकदमा चलाया गया और अंग्रेजी बर्बर लोगों द्वारा देशद्रोह के आरोप में मौत की सजा सुनाई गई।।
लेकिन अंग्रेजों ने राजा शंकर शाह और कुंवर रघुनाथ शाह के सामने यह शर्त रखा कि अगर वह उनसे माफी मांग लें तो छोड़ दिए जाएंगे।
लेकिन अपने मिट्टी के गौरव और गोंडवाना के अभिमान के लिए उन्होंने अंग्रेजों के सामने झुकना स्वीकार नहीं किया। उन्होंने मातृभूमि के लिए बलिदान होना स्वीकार किया।
दोस्तों राजा कुंवर शंकर शाह और कुंवर रघुनाथ शाह को अंग्रेजों ने 18 सितंबर 1858 को बर्बरतापूर्वक तोप के मुंह में बांधकर हजारों लोगों के सामने उड़ा दिया, दोनों के शरीर क्षत विक्षत होकर बिखर गए, दोनों पिता पुत्र अपने मातृभूमि के लिए शहीद हो गए।
दोनों पिता पुत्र गोंडवाना के लाल अमर हो गए। आज उनके बलिदान के याद में 18 सितंबर को राजा शंकर शाह, कुंवर रघुनाथ शाह बलिदान दिवस मनाया जाता हैं।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें