भारत की मुख्य गोंड जनजाति
( GOND TRIBAL COMMUNITY ) INDIA
आज हम बात करेंगे देश के प्रमुख जनजाति गोंड जनजाति ( Gond tribals) के बारे में, दोस्तों गोंड जनजाति देश की सबसे बड़ी जनजाति में से एक है यह जनजाति अमूनन सभी प्रदेशों में निवास करती है, इस जनजाति की बहुलता मध्यप्रदेश ( madhya pradesh), छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) राज्य में अधिक है, गोंड जनजाति विशाल संस्कृति समृद्ध इतिहास वाला जनजाति है, हम इस जनजाति के बारे अलग अलग विषयों पर में संक्षिप्त में जानेंगे -
निवास क्षेत्र - दोस्तों यह जनजाति मध्यप्रदेश छत्तीसगढ़ राज्य में बहुलता के साथ अन्य सभी राज्यों में भी निवास करती है, गोंड जनजाति समूह देश की सबसे बड़ी जनजाति समूह है।
गोंड जनजाति समूह ऑस्ट्रोलॉयड व द्रविड़ समूह की जनजाति है।
दोस्तों गोंड जनजाति में संस्कृति (culture) और रीति रिवाजों की बहुत विशाल स्वरूप देखने को मिलता है अधिक बड़े क्षेत्र में फैले होने के कारण अलग अलग जगहों पर रहन सहन खान पान और परंपराओं में कुछ विभिन्नता देखने को मिलती है पर एक समानता यह है कि सभी जगहों में प्रकृति को सर्वस्व माना जाता है।
गोंड जनजाति गोत्रों में विभाजित है, इसमें कुल 750 गोत्र हैं, व 12 देव हैं, 12 देव सम और विषम में आधारित हैं, 12 देव में 750 गोत्रों को अलग अलग समूहों में रखा गया है।
गोंड समुदाय प्रकृति (nature) को पूजने वाला समुदाय है, ग्राम या घर व गांव में अलग अलग देवताओं की आराधना करते हैं, बड़ादेव (badadev), बूढ़ादेव ( budhadev), खेरोमाई (kheromaai), ठाकुर देव ( thakurdev), नारसेन ( naarsen) , दूल्हादेव (dulhadev).
- बड़ा देव को सृष्टि के रचनाकार के रूप में पूजा जाता है,
- दुल्हादेव शादी के बंधन में बांधने वाले देव हैं।
- बूढ़ादेव कुल देवता है जो घर की रक्षा करते हैं।
- खेरॊमाई गांव की देवी हैं
- ठाकुर देव ग्राम के मुख्य देवता है
- नारसेन गांव के सीमा का रक्षा करने वाले आराध्य देव माने जाते हैं।
इसके अलावा अलग अलग अनुष्ठानों व क्षेत्रों के अनुसार अलग अलग देवों की पूजा की जाती है, जैसे बुआई, फसल पकने में, नवाखाई, हरेली, विवाह, जन्म आदि समय में अलग अलग देवों की आराधना किया जाता है।
विवाह गोंड जनजाति समूह में अलग अलग विवाहों का प्रचलन है, विवाह में प्रकृति की पूजा प्रमुख रूप से की जाती है। मड़वा पूजा, मड़वा माटी पूजा, मुख्य है।
गोंडी घड़ी ( gondi watch) - गोंडी घड़ी आमचलन की गाड़ियों से विपरीत दिशा में चलने वाली घडी है, जैसे आम घड़ियां बाएं से दाएं घूमती हैं वहीं गोंडी घड़ियां दाएं से बाएं घूमती हैं ।
पहनावा गोंड जनजाति आज पहनावे में अपने पारंपरिक तरीकों को परिवर्तित कर आधुनिक समय की ओर जा है, लेकिन कई जगहों में आज भी पारंपरिक वेशभूषा ही अपनाई जाती है, विशेष तीज त्यौहारों में पारंपरिक पहनावे को मुख्य जगह दिया जाता है। जिसमें पुरुषों में धोती कुर्ते, पगड़ी और महिलाओं में साड़ी प्रचलित है।
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